सादर ब्लॉगस्ते पर आपका स्वागत है

Saturday, March 2, 2013

आधुनिक अभिमन्यु (लघु कथा)


ठाकुर साब के घर में खुशियाँ मनाई जा रही थीं. उनकी पुत्रवधु की चौथी सन्तान जन्म लेने वाली थी. अल्ट्रासाउंड नामक महान तकनीकि द्वारा ज्ञात किया जा चुका था, कि गर्भ में लड़का ही है. ठाकुर साब की तीनों पोतियाँ भी अपने भाई के आने को लेकर उत्साहित थीं. पूरे परिवार में उत्सव का माहौल था. इन सबके विपरीत ठाकुर साब  का भावी पोता अपनी  माँ के गर्भ में गंभीर चिन्तन में मग्न था. जिस प्रकार अभिमन्यु ने  अपनी माँ सुभद्रा  के गर्भ में रहते हुए पिता अर्जुन से चक्रव्यूह तोड़ने का अधूरा पाठ सुना था, उसी प्रकार ठाकुर साब का अजन्मा पोता भी अपने पिता द्वारा माँ को सुनाये गये वचन नौ महीने से  सुनता आया था. वह भली-भाँति जान गया था, कि किस प्रकार लायक होते हुए भी उसके पिता ने आरक्षण नामक दैत्य के कारण पूरा जीवन धक्के खाए थे तथा अंत में नौकरी न मिलने पर परचून की दुकान लगाकर ही गुजर-बसर करना स्वीकार किया था. उसने अपने पिता के मुख से मँहगाई व गरीबी नामक डायनों के अत्याचारों को भी खूब सुना व महसूस किया था. बालक ने पूरी रात सोचने के बाद एक निर्णय लिया और अगले दिन वह मृत  पैदा हुआ.  

लेखक - सुमित प्रताप सिंह

इटावा, नई दिल्ली, भारत 

14 comments:

  1. Rajendra KumarMarch 2, 2013 at 12:24 PM

    बहुत ही मार्मिक प्रस्तुतीकरण,आभार.

    ReplyDelete
    Replies
    1. सुमित प्रताप सिंह Sumit Pratap SinghMarch 2, 2013 at 12:31 PM

      शुक्रिया राजेन्द्र कुमार जी...

      Delete
    Reply
  • अरुन शर्मा 'अनन्त'March 2, 2013 at 3:25 PM

    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (02-03-2013) के चर्चा मंच 1172 पर भी होगी. सूचनार्थ

    ReplyDelete
    Replies
    1. सुमित प्रताप सिंह Sumit Pratap SinghMarch 2, 2013 at 3:55 PM

      शुक्रिया अरुन जी...

      Delete
    Reply
  • vandana guptaMarch 2, 2013 at 5:26 PM

    उफ़ कितना मार्मिक

    ReplyDelete
    Replies
    1. सुमित प्रताप सिंह Sumit Pratap SinghMarch 3, 2013 at 5:20 PM

      टिप्पणी के लिए शुक्रिया वंदना गुप्ता जी...

      Delete
    Reply
  • सरिता भाटियाMarch 2, 2013 at 7:23 PM

    बेटी ने तो ज़माने को दुश्मन जाना था ,बेटे को पिता के कर्ज का ध्यान आ गया ,हमारे सिस्टम ने उसे मंहगाई में यूँही अजन्मे ही मार दिया ,बहुत मार्मिक प्रस्तुति सुमित जी ,समझ नहीं आता वाह वाह करूँ या आह करूँ

    ReplyDelete
    Replies
    1. सुमित प्रताप सिंह Sumit Pratap SinghMarch 3, 2013 at 5:20 PM

      शुक्रिया सरिता भाटिया जी...

      Delete
    Reply
  • साकेत शर्माMarch 2, 2013 at 10:43 PM

    बहुत शानदार..

    ReplyDelete
    Replies
    1. सुमित प्रताप सिंह Sumit Pratap SinghMarch 3, 2013 at 5:20 PM

      शुक्रिया साकेत शर्मा जी...

      Delete
    Reply
  • Kailash SharmaMarch 2, 2013 at 10:54 PM

    बहुत मार्मिक रचना...

    ReplyDelete
    Replies
    1. सुमित प्रताप सिंह Sumit Pratap SinghMarch 3, 2013 at 5:21 PM

      शुक्रिया कैलाश शर्मा जी...

      Delete
    Reply
  • सुमन कपूर 'मीत'March 3, 2013 at 12:17 AM

    marmik katha..

    ReplyDelete
    Replies
    1. सुमित प्रताप सिंह Sumit Pratap SinghMarch 3, 2013 at 5:21 PM

      शुक्रिया सुमन कपूर जी...

      Delete
    Reply
Add comment
Load more...

यहाँ तक आएँ हैं तो कुछ न कुछ लिखें
जो लगे अच्छा तो अच्छा
और जो लगे बुरा तो बुरा लिखें
पर कुछ न कुछ तो लिखें...
निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!