सादर ब्लॉगस्ते पर आपका स्वागत है

शेयर करें

Monday, February 11, 2013

शोभना ब्लॉग रत्न सम्मान प्रविष्टि संख्या - 5


भारत है अपनी जान

अनेकता में एकता
जिस देश की पहचान,
हम उस वतन के वासी
भारत है अपनी जान।

हिंदू हों या मुसलमाॅ
हों सिक्ख या ईसाई,
मज़हब जु़दा-जु़दा है
दिल से सभी हैं भाई।

मिल-जुल के सदा गायें
सब एकता के गान,
हम उस वतन के वासी
भारत है अपनी जान....।

मंदिर की घंटियों में
अल्लाह की आवाजें़,
वाहे गुरू, यीशू के
सबके लिए दरवाज़े। 

हो सबका भला सबके
दिल में यही अरमान,
हम उस वतन के वासी
भारत है अपनी जान....।

प्रहरी बना हिमालय
गंगा यहां इठलाती,
कश्मीर की फिज़ाएं
दुश्मन को भी लुभातीं

मौसम यहां का दिलकश
इसकी बढ़ाए शान,
हम उस वतन के वासी
भारत है अपनी जान....।

अशफाक, तिलक, बिस्मिल
औ’ बोस, भगत गांधी,
गौरव थे इस ज़मी के
आए थे बनके आंधी।
इनकी बहादुरी से
दुनियाॅ रही हैरान,
हम उस वतन के वासी
भारत है अपनी जान....।

पद्मिनी, रजिया जोधा
दुर्गा औ, लक्ष्मी बाई
अपने वतन की नारी
सारे जगत में छाई
करके वही दिखाया
मन में लिया जो ठान
हम उस वतन के वासी
भारत है अपनी जान

मातायें दिल की पक्की
मज़बूत हैं इरादे
अपने जिगर के टुकड़े
वो देश हित में लगा दें।
हो कोख चाहे सूनी
भारत का रहे मान
हम उस वतन के वासी
भारत है अपनी जान।

रचनाकार: श्री किशोर श्रीवास्तव


नई दिल्ली 

6 comments:

  1. Rajendra KumarFebruary 11, 2013 at 3:55 PM

    देशप्रेम को प्रस्तुत करती बहुत ही सुन्दर रचना,आभार

    ReplyDelete
  2. डॉ. राहुल मिश्रFebruary 27, 2013 at 12:01 AM

    स्वागत है

    ReplyDelete
  3. poonam matiaFebruary 27, 2013 at 12:20 AM

    किशोर जी देर आये दुरुस्त आये ........भारत अपनी जान ........एक मत से आपके साथ

    ReplyDelete
  4. pradeepFebruary 27, 2013 at 12:49 PM

    बहुत बधाई।
    प्रदीप शुक्ला

    ReplyDelete
  5. Kishor se miliyeFebruary 28, 2013 at 10:08 PM

    thanx to all..

    ReplyDelete
  6. Shashi SrivastavaFebruary 28, 2013 at 10:13 PM

    Nice poem..

    ReplyDelete
Add comment
Load more...

यहाँ तक आएँ हैं तो कुछ न कुछ लिखें
जो लगे अच्छा तो अच्छा
और जो लगे बुरा तो बुरा लिखें
पर कुछ न कुछ तो लिखें...
निवेदक-
सुमित प्रताप सिंह,
संपादक- सादर ब्लॉगस्ते!