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कविता: वो मंत्र नमो है

Sunday, February 9, 2014

सेवा भरती में बसंत उत्सव

बसंत पंचमी का दिन इस बार मेरे लिए बहुत आनंद्नीय रहा | सेवा भारती जोकि एक संस्कारी संस्था है जो बस्तिओं में बच्चों के चरित्र निर्माण के इलावा महिलाओं में भी आत्मविश्वास पैदा करती है | इसमें बसंत उत्सव एक अलग तरीके से मनाया गया | कल सुबह 11 बजे रघुबीर नगर में सेवा भारती के केंद्र पर पहुंचना था | मैं ठीक समय पर वहाँ पहुँच गई थी | उसमें अन्दर प्रवेश करते ही जैसा की एक अपनापन सा नज़र आने लगा | ऊपर काफी बड़ा हाल था जिसमें प्रोग्राम होना था | उसके बाहर सबने पंक्तिओं में चप्पल जूते निकाल दिए थे | अन्दर प्रवेश करते ही सारा आलम रंगीन नज़र आने लगा जैसे इन्द्र धनुषी छटा बिखेर दी गई हो | सब महिलायें इन्द्रधनुषी नज़र आ रही थी | 
यहाँ बसंत उत्सव पर भजन प्रतियोगिता का कार्यक्रम रखा गया था | जिसमें 6 जिलों की महिलाएं भाग लेने पहुँची थीं | नजफगढ़ ,उत्तमनगर ,सुभाष नगर , जनकपुरी , द्वारका ,तिलकनगर 6 जिले इसमें आए थे |यह एक विभाग का कार्यक्रम था |  
हर जिले से दो दो टीम आई थीं सबका अपना एक ड्रेस कोड था | सभी बहुत ही व्यवस्थित रूप से कमरे में बिछी दरिओं पर बैठी थी | हम सब निरीक्षिकायें और जज कुर्सिओं पर बैठे थे | सामने माँ सरस्वती की प्रतिमा रखी गई थी | महिलाएँ क्योंकि सुबह से निकली थी दूर दूर से इसमें भाग लेने के लिए इसलिए आते ही उनको हल्का फुल्का चाय नाश्ता दिया गया था | कुछ जज समय पर नहीं पहुँच पाए थे इसलिए उनका इंतज़ार किया जा रहा था क्योंकि उनकी कोशिश थी जो जज हों वो दूसरे विभाग से ही हों तो बहुत अच्छा रहेगा | 
                    उतनी देर सब भाग लेने वाली मंडलिओ को एक भजन का एक एक अंतरा बोलने के लिए कहा गया अपने अपने वाद्दय के साथ | बहुत ही सुन्दर भजन सुनने को मिले | सबको उनकी कमिओं के बारे में बताया गया | इतना सब होने में 12.25 हो चुके थे तब तक जज भी पहुँच चुके थे |  
           अब शुरू हुई सुबह से परीक्षित भजन प्रतियोगिता | सबसे पहले उसके कुछ नियम उन सबको समझाए गए जो निम्नलिखित हैं .....
1. कोई भी फ़िल्मी भजन या फ़िल्मी धुन पर भजन नहीं होना चाहिए |
2. भजन 5 से 7 मिनट के बीच ख़त्म हो जाना चाहिए |
3. भजन सब अपनी ढोलक और कोई भी एक और वाद्द्य यंत्र के साथ गया जाना चाहिए |
             प्रतियोगिता शुरू करने से पहले सभी जज द्वारा  दीप प्रज्वलित किया गया | अब एक अध्यापिका ने संभाला माइक और गणेश वंदना गाई उसके बाद एक एक मंडली को बड़े सलीके से स्टेज पर बुलाया गया और उनका भजन सुना गया | एक अध्यापिका समय का ध्यान रख रही थी बाकी सब उनको उत्साहित करने के लिए भजन ख़तम होते ही ताली बजवाते और फिर दूसरी मंडली के सदस्यों को आमंत्रित किया जाता स्टेज पर | जब सब मंडलियाँ गा चुकी तो परिणाम घोषित करने से पहले एक जज ने आकर उनको समझाया कि किस प्रकार से नंबर दिए गए हैं जैसे कि ड्रेस कोड के 2 नंबर बताये गए थे फ़िल्मी धुन पर नंबर काटे गए थे या किसी  का भजन सरल भाषा में नहीं था तो उसके भी नंबर काटे गए थे ,कोई मंडली में अगर सारे लोग नहीं गा रहे थे , लय में नहीं गा रहे थे तो उनके नम्बर काटे गए थे |
                    इसके बाद परिणाम घोषित किया गया जिसमें हमारी उत्तमनगर की एक मंडली को प्रथम और तिलकनगर जिले की एक मंडली को द्वितीय घोषित किया गया | मंडली के सभी सदस्यों एवं बाकी सब मंडलियो को भी एक एक बेडशीट उपहार स्वरुप दी गई थी | अब दो चुनी हुई मंडलियाँ अपने भजन लेकर फाइनल में झंडेवालान मंदिर में प्रतियोगिता में शामिल होंगीं |
           सब इसके बाद जाने के लिए नीचे आ गए यहाँ बड़े व्यवस्थित तरीके से सबको बासंती चावल और नमकीन चावल दिए गए जिसे लेकर सब मधुर यादों संग वापिसी के लिए चल दिए |
वहाँ की कुछ तस्वीरें आप तक पहुंचाती हूँ ....














                                                        रिपोर्टर :--- सरिता भाटिया