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एंटी रोड रेज एंथम: गुस्सा छोड़

Friday, November 15, 2013

कहानी: कहीं....?

   र में खुशियाँ मनाई जा रही थीं. बड़ी बहन के दूसरी संतान हुई थी. दूसरी संतान के रूप में लक्ष्मीरुपी कन्या पाकर सभी प्रसन्न थे. हालाँकि लड़की पैदा हो चुकी थी, फिर भी बहन की सास के कई बार पूछने के बावजूद हॉस्पिटल के स्टाफ ने नहीं बताया था, कि लड़का हुआ है या लड़की, क्योंकि उनको यह डर था, कि कहीं बहन की सास को पोती होने का सदमा बर्दाश्त न हो पाए. जीजा के आने के बाद ही पता लग पाया, कि लड़की हुई है. अभी पिछली रात ही तो बहन की सास को उनके रिश्तेदार ने कहा था, कि उनके यहाँ लड़की नहीं लड़का होगा. उसका तर्क था कि लड़की पापियों के यहाँ पैदा नहीं होती है. बहन की सास ने यह खबर मिलते ही, कि लड़की हुई है अपने उस रिश्तेदार को फोन मिलाया और उससे कहा कि हम पापी नहीं हैं. हमारे यहाँ लक्ष्मी आई है. हॉस्पिटल का स्टाफ भी जीजा के पास बक्शीश मांगने नहीं आया, क्योंकि उसे पूरा यकीन था कि बक्शीश तो मिलेगी नहीं ऊपर से घरवालों का रोना-धोना अलग से सुनने को मिलेगा. हाँ लड़का पैदा होता तो हक से मुंहमांगी बक्शीश मांगते. पर लड़की होने से लड़की के परिवार के साथ-साथ हॉस्पिटल स्टाफ के भी करम फूट गए थे. हॉस्पिटल स्टाफ तब हैरान रह गया था, जब जीजा ने उन्हें खुश होकर बक्शीश दी थी. बहन के बगल के वाले बैड पर जो महिला एडमिट थी उसके लड़का हुआ था. उसकी सास की हालत ऐसी थी कि चला भी नहीं जा रहा था, लेकिन जैसे ही उसकी बहू ने लड़का जन्मा बुढिया मानो जवान हो गयी हो. उसने बहन की सास और जीजा को बड़ी हिकारत की नज़रों से देखा था. वह शायद यह सोच रही थी, कि कैसे लोग हैं जो लड़की के पैदा होने पर उल्लास मना रहे हैं. उस वार्ड में कुछ और महिलाओं की डिलीवरी होने वाली थी. अब उन्हें डर नहीं लग रहा था. अब वे बेफिक्र थीं कि चाहे लड़का हो या लड़की. यदि लड़का हुआ तो खुश होंगे ही और यदि लड़की हुई तो बहन के परिवार का हवाला देकर जबरन खुश होंगे.
डेढ़ साल के भांजे को नहला-धुलाकर कपड़े पहनाकर तैयार कर दिया गया था. उसे अपने मामा और मासी के साथ अपनी छोटी बहन से मिलने हॉस्पिटल जाना था. भांजे को छोटी बहन की न तो खबर थी और न ही कोई मतलब था. उसे तो खुशी इस बात की थी कि वह मामा के साथ मोटरसाइकिल की सवारी करेगा. हॉस्पिटल में पहुँचकर जब भांजे ने अपनी माँ की गोद में अपनी छोटी बहन को देखा था, तो उसकी आँखें भर आई थीं. उसे यह बर्दाश्त नहीं हुआ था, कि उसकी माँ की गोद में उसके अलावा कोई और बैठे. भांजे का ध्यान बँटाने के लिए उसकी मासी उसे हॉस्पिटल के बाहर घुमाने ले गई थी, लेकिन उसका दुःख कम नहीं हुआ था. वह तब तक रोता रहा जब तक कि अपनी माँ के बगल वाले खाली बैड पर सो नहीं गया. भांजे को हॉस्पिटल में छोड़कर जब छोटी बहन के साथ वहाँ से बाहर निकला था, तो हॉस्पिटल के दरवाजे पर अपने चाचा की गोद में सुबकता हुआ एक और बच्चा मिला था. वह भी अपने छोटे भाई के आने और अपनी माँ का प्यार बँट जाने पर दुखी था. शाम को बहन को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया था. रात को बहन ने फोन पर बताया था, कि भांजे का दुःख अभी कम नहीं हुआ था. उसने मौका देखकर अपनी छोटी बहन पर पानी की बोतल से हमला करने की नाकाम कोशिश की थी. जब बहन ने उसका हमला विफल कर दिया तो गुस्से में वह अपनी माँ के बालों पर झूल गया था. बहन को माँ ने सतर्क रहने को कहा और बच्ची का ध्यान रखने को कहा.
माँ ने हमें बताया कि जब किसी बच्चे का कोई छोटा भाई या बहन पैदा होता है, तो उसे लगता है कि उसका हिस्सा मारने दूसरा कोई आ गया है. उन्होंने बताया कि मैंने भी बहन के जन्म लेने पर गुस्से में उसका नाड़ा नाभि से खींचकर अलग कर दिया था और जाने कहाँ पर जाकर फैंक आया था. अब बच्चों के बदले और मासूमियत में किये गए गुनाहों के किस्से चल पड़े. उन्होंने बताया कि एक बच्चे ने अपने माँ-बाप द्वारा नज़रंदाज किये जाने से नाराज होकर अपने छोटे भाई को रात के समय फ्रिज में छुपा दिया था और जब सुबह फ्रिज खोला गया, तो उसमें उस बच्चे की लाश मिली थी. एक बच्चे ने अपने छोटे भाई को वाशिंग मशीन में इसलिए डाल दिया था, ताकि उसका काला रंग धुलकर साफ़ हो जाए और उस बेचारे के शरीर के वाशिंग मशीन में चीथड़े-चीथड़े हो गए थे.
माँ ने बताया कि नवजात शिशुओं का अधिक ध्यान रखने की जरूरत होती है. उन्होंने हमारे पड़ोस में रहने वाले परिवार की एक घटना सुनाई, कि कैसे योगेश की छोटी बहन पैदा होने के कुछ दिन बाद ही सांस रुकने से मर गई थी. हालाँकि डॉक्टर ने बताया था कि किसी ने तकिये से उसका मुँह दबाया था. जबकि आस-पड़ोस में ये चर्चा थी, कि योगेश की बहन को मारने में किसी प्रेतात्मा का हाथ था.
इन दुखद घटनाओं को सुनकर मन दुखी हो गया. रात को सोने की तैयारी कर ही रहा था, कि अचानक दिमाग कौंधा. हे भगवान बचपन में अपनी बहन को कहीं योगेश ने ही तो नहीं....?

सुमित प्रताप सिंह
इटावा, नई दिल्ली, भारत 

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