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Sunday, February 17, 2013

हम नहीं पियेंगे


घर में मन नहीं लगता है 
दुःख से मन ये दुखता है 
ऐसे न दिन-रैन कटेंगे 
चलो यार हम बियर पियेंगे 

जिसकी प्रीत में जीवन बीता 
उसने छोड़ दिया यूँ रीता 
समझा नहीं प्यार था सच्चा 
निभी और से ये भी अच्छा 
बिन उसके भी दिन ये कटेंगे 
चलो यार हम बियर पियेंगे 

जिनकी खातिर जग ये त्यागा 
भाग्यवान से बना अभागा 
वो कहते छोड़ चले जायेंगे 
लौट कभी न फिर आयेंगे 
माँ-बाप बिना क्या ख़ाक जियेंगे 
चलो यार हम बियर पियेंगे 

रिश्ते-नाते सब हैं झूठे 
प्रेमभाव से सभी अछूते 
इससे अच्छी अपनी यारी 
यार पे सारी दुनिया वारी 
यार संग ही जियेंगे-मरेंगे 
चलो यार हम बियर पियेंगे 

एक पल मन ये कहता है
पीने में क्या रखा है 
जीवन का रण तो लड़ना है 
सुख-दुःख संग आगे बढ़ना है 
हीन भाव से नहीं जियेंगे 
छोड़ो यार हम नहीं पियेंगे।

रचनाकार: सुमित प्रताप सिंह 

इटावा, नई दिल्ली, भारत 

चित्र गूगल से साभार 

4 comments:

  1. Yogi ThakurFebruary 17, 2013 at 10:49 PM

    Excellent Epos Sumit Ji ..... Jiavan ka Ran to Ladna hai ..... Sukh Dukh sang Aagey badhna hai ... Heen Bhavna se nhi jiyenge ,............ Chhodon yaaron nhi Piyenge !!

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    1. सुमित प्रताप सिंह Sumit Pratap SinghFebruary 19, 2013 at 10:45 AM

      शुक्रिया योगी जी...

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    Reply
  • Sagar Kumar PardeshiFebruary 21, 2013 at 2:08 PM

    vaah sumit sir

    ReplyDelete
    Replies
    1. सुमित प्रताप सिंह Sumit Pratap SinghFebruary 22, 2013 at 3:01 PM

      शुक्रिया सागर जी...

      Delete
    Reply
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