Wednesday, December 19, 2012

शोभना काव्य सृजन पुरस्कार प्रविष्टि संख्या - 10


विषय: भ्रूण हत्या 

है बेटी का रूप निरालाचेहरे पर लाए सबके मुस्कान 
जब ह्रदय से लग जाती हैमिट जाती सारी थकान 
घर आँगन में घूमती-फिरतीकरती सबका सम्मान 
है मासूमियत इतनी अन्दरसादगी की है पहचान 

ब्रह्मा जी के कर-कमलों से रचाई गई है स्रष्टि 
पालक है वासुदेव इसकेसंहारक शिव की दृष्टि 
सृष्टि रचने वालो से तू क्यूँ लड़ता है नादान 
कन्या पैदा करने से तू क्यूँ डरता है  इंसान  

कन्या भ्रूण हत्या करने वालो एक दिन पछताओगे 
बेटी पैदा नही हुई दुनिया में, तो बहु कहाँ से लाओगे 
बहनमौसीबुआ के रिश्ते दुनिया से मिट जायेंगे 
पर्व रक्षा-बंधन का फिर हम   कैसे मना पाएंगे 

वक़्त अभी भी हाथ में है जागने और जगाने का 
ना करो क़त्ल बेटी काये वक़्त है कोख बचाने का 
बनकर रक्षक बेटी के तुम,अपना फर्ज निभाओ 
करे कोई ना क़त्ल उसकासबको ये समझाओ 

हो सकता है बेटी कल दुनिया में नाम ऐसा कमाये 
शान से मस्तक ऊँचा हो आपका,गर्व बेटी पर हो जाए 
अपनी सोच बदलकर,  नया काम कर जाओ 
बेटी को दुनिया में लाने सेकतई नही घबराओ  

रचनाकार - कुंवरानी मधु सिंह 



करनाल, हरियाणा 

6 comments:

  1. Vikram Pratap Singh NagvanshiDecember 19, 2012 11:01 AM

    कोई भी बदलाव सबसे पहले हम से शुरु होता है......समाज हमशे आप से मिल कर बनता है, हम बदलेंगे हमारा समाज बदलेगा |
    पहले हम खुद को बदलने ,अपनों को बदले ,अपने आस -पास बदलाव के दीप जले समाज स्वयं ही बदल जायेगा | _/\_

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  2. RajputDecember 19, 2012 11:10 AM

    बहुत शानदार और शिक्षाप्रद रचना, आशा है लोग इसे गंभीरता से लेंगे और कन्या भूर्ण हत्या जैसे प्रकृति विनाश को रोकेंगे

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  3. Kunwar Amit Singh (कुंवर अमित सिंह मुंढाड)December 19, 2012 11:20 AM

    बेटी को दुनिया में लाने से कतई नहीं घबराओ ,,

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  4. Neeraj KaushikDecember 19, 2012 11:42 AM

    बस माँ ही सुन सकती थी उसकी करुण पुकार
    करना तो बहुत कुछ चाहती थी पर वो थी लाचार
    आखिर वो किया कर सकती थी वो डरी सहमी थी औरत
    न तो उसमे इतनी हिम्मत थी की वोह करती बग़ावत.......

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  5. Shekher SinghDecember 19, 2012 2:38 PM

    इस समस्या का समाधान केवल लोगों में जागरूकता के माध्यम से ही आ सकता है। सुंदर रचना.

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  6. Yogi ThakurDecember 19, 2012 8:58 PM

    सच में इन्सान कितना बेरहम हो गया है ना ....... अपने अस्तित्व को ही मिटाने पर तुला है :(

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